वैश्विक जोखिम-परहेज़ और टैरिफ खबरों के बीच रुपया डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर को छूकर लौटा। ट्रेडर्स ने स्टॉप-लॉस ट्रिगर और आयातकों की भारी डॉलर मांग को कारण बताया; इसके बाद संभावित केंद्रीय-बैंक हस्तक्षेप और फॉरवर्ड प्रीमिया में सुधार से स्थिरता आई। बॉन्ड यील्ड्स मामूली बढ़ीं, पर कॉरपोरेट ट्रेज़रीज़ ने हेजिंग के लिए पर्याप्त तरलता की पुष्टि की। निर्यातकों ने गिरावट पर रसीदें लॉक कीं, जबकि आयातकों ने चरणबद्ध कवर लिया। आगे की दिशा कच्चे तेल, पोर्टफोलियो फ्लो और टैरिफ कूटनीति पर निर्भर रहेगी। घरेलू उपभोक्ताओं पर असर सीमित दिखता है—कोर महंगाई नरम है और खाद्य आपूर्ति परिदृश्य स्थिर—हालाँकि उच्च-मूल्य आयातित वस्तुओं में मूल्य समायोजन संभव है। नीति-निर्माताओं का लक्ष्य किसी स्तर की रक्षा से अधिक अस्थिरता को समतल करना है, जिससे विकास-महंगाई का संतुलित व्यापक परिदृश्य बना रहे।