
तारीख: 18 अगस्त 2025
राज्यसभा ने औपनिवेशिक-युग के कानून की जगह इंडियन पोर्ट्स बिल को मंज़ूरी दी, जिसका लक्ष्य बड़े-छोटे सभी बंदरगाहों में सुरक्षा, पर्यावरण और संचालन मानकों का एकीकरण है। नए ढांचे में राज्य समुद्री बोर्डों को सशक्त करना, राष्ट्रीय समन्वय तंत्र बनाना और ड्रेजिंग, पायलटेज व ऑयल-स्पिल प्रतिक्रिया पर स्पष्ट जवाबदेही शामिल है। उद्योग जगत इसे 2047 समुद्री-दृष्टि का मूलभूत आधार मान रहा है—गहरे ड्राफ्ट, तेज़ टर्नअराउंड और मल्टीमोडल कनेक्टिविटी से लॉजिस्टिक्स लागत वैश्विक स्तर के करीब लाने का प्रयास। राज्यों को हरित बंदरगाह, तटीय शिपिंग और शिप-रिपेयर क्लस्टर में निवेश-स्पष्टता की उम्मीद है। लाभों की रफ़्तार क्रियान्वयन—मानव संसाधन, डिजिटलीकरण और विवाद निपटान—पर निर्भर करेगी।