तारीख: 27 अगस्त 2025
अमेरिका ने भारतीय आयातों के एक बड़े हिस्से पर 50% शुल्क लागू कर दिया, जिसकी वजह रूस से कच्चे तेल की खरीद और उससे जुड़ी “राष्ट्रीय सुरक्षा” बताई गई। घोषणा के तुरंत बाद रुपये में तीखी गिरावट आई और शेयर बाज़ार में निर्यात-मुखी क्षेत्रों—वस्त्र, रत्न-आभूषण, चमड़ा, मशीनरी और समुद्री उत्पाद—में भारी बिकवाली देखी गई। भारत सरकार ने इसे “असमय और अनुचित” बताया, साथ ही कहा कि ऊर्जा विविधीकरण हमारी आर्थिक आवश्यकता है। उद्योग संगठनों ने चेताया कि यदि शिपमेंट्स को यूरोप, पूर्वी एशिया और खाड़ी बाज़ारों की ओर शीघ्रता से मोड़ा नहीं गया तो निकट भविष्य में छंटनियों का जोखिम है। विशेषज्ञों के अनुसार तिमाही अस्थिर रह सकती है, परंतु मज़बूत घरेलू मांग, नरम कोर महंगाई और स्वस्थ बैंकिंग तंत्र कुछ सहारा देंगे। केंद्र सरकार क्रेडिट गारंटी, निर्यात प्रोत्साहन व गैर-अमेरिकी भागीदारों के साथ तेज़ वार्ताओं जैसे उपायों पर विचार कर रही है। रणनीतिक रूप से, यह प्रकरण लॉजिस्टिक्स उन्नयन और “चाइना+1/यूरोप+1” निर्यात रणनीति को गति देगा, जबकि कंपनियाँ सप्लाई चेन को पुनर्संतुलित कर टैरिफ-जोखिम घटाने की कोशिश करेंगी।